अन्ना चांडी भारत की पहली महिला जज थीं। वे 4 मई 1905 को त्रावणकोर के त्रिवेंद्रम में एक मलयाली सीरियाई ईसाई परिवार में पैदा हुई थीं। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा त्रिवेंद्रम में प्राप्त की और फिर कानून का अध्ययन करने के लिए लंदन चली गईं।
1928 में, उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय से लॉ में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। भारत लौटने पर, उन्होंने त्रिवेंद्रम में एक वकील के रूप में अभ्यास शुरू किया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में सफलतापूर्वक मुकदमा लड़ा, जिसमें महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता से संबंधित मामले शामिल थे।
1959 में, उन्हें पंजाब हाई कोर्ट में जज के रूप में नियुक्त किया गया। इस प्रकार, वे भारत की पहली महिला जज बनीं। 1966 में, उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय में नियुक्त किया गया। इस प्रकार, वे भारत की पहली महिला सुप्रीम कोर्ट जज बनीं।
अन्ना चांडी ने अपने न्यायिक कार्य के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाई। उन्होंने सामाजिक न्याय और समानता के लिए भी काम किया।
अन्ना चांडी एक दृढ़ और साहसी महिला थीं। उन्होंने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने महिलाओं के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम किया और उन्होंने भारत के न्यायिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अन्ना चांडी का 20 जुलाई 1996 को निधन हो गया।